ढल रही है धीरे धीरे, शाम देखिये

ढल रही है धीरे धीरे, शाम देखिये।
आगाजे रोशनी का, अंजाम देखिये।।

लोग जी रहे हैं, इस तरह से जिन्दगी।
ले रहे हों जैसे, खुद से इंतकाम देखिये।।

कसूरवार और हैं, गुनाहगार और।
हम हो रहे हैं मुफ्त में, बदनाम देखिये।।

देखती है सब्र से , मौत आप को।
आप जिन्दगी के, इंतजाम देखिये।।

रंग और ढंग के, मतलब को समझिये।
राकिम जी मंसूबा ए सलाम देखिये।।