अल्ला बोल दमादम बोल

अल्ला बोल दमादम बोल।
मौला बोल दमादम बोल।।

गीता सच्ची कुरान है सच्ची।
पूजा सच्ची अजान है सच्ची।।
नानक सच है ईसा सच है।
मंदिर सच है कलीसा सच है।।
बंदा खुदा का जो सच बोले।
सच्चा बोल दमादम बोल।।

सच जब कहना खुल के कहना।
सच्ची बात पे कायम रहना।।
अफवाहों के संग न बहना।
जुल्म कोई हो कभी न सहना।।
मुर्शिद मेरा सिखलाया है।
जैसा बोल दमादम बोल।।

सब खोना है जो पाना है।
इक दिन सबको मिट जाना है।।
ऐसा बोल जो खुद को भाये।
गैर का दिल भी खुश हो जाये।।
राकि़म कहता बोल अगर तो।
अच्छा बोल दमादम बोल।।

है गरूर कितना किस कदर के देखिये

है गरूर कितना किस कदर के देखिये।
मिजाज सिर्फ बदलती नजर के देखिये।।

कल की खबर नहीं यहाँ किसी को है मगर।
इंतजाम हो रहे हैं उम्र भर के देखिये।।

बात समझने की जरूरत नहीं कोई।
रंग सिर्फ बात के असर के देखिये।।

कुछ और नहीं लगेगी तमाशे के सिवा।
जिन्दगी से खुद को दूर कर के देखिये।।

दिखते हैं एक जैसे कमजर्फ और गहरे।
असलियत को दरिया में उतर के देखिये।।

अपनी नजर में आप गुनहगार तो नहीं।
अपने गिरेबां में झांक कर के देखिये।।

जर्रे -जर्रे में खुदा होता है राकिम ।
शर्त है जमीन को झुक कर के देखिये।।