रहता नहीं है कल कभी क्यों आज की तरह

रहता नहीं है कल कभी क्यों आज की तरह
वक्त क्यों बदलता है मिजाज की तरह

चेहरों पे डालता हूँ अकीदत भरी नजर
पढता हूँ सूरतों को मैं नमाज की तरह

लम्हा लम्हा उम्र का या कतरा कतरा पानी
क्या जिन्दगी है डूबते जहाज की तरह

रोटी की फिक्र भारी होती है बराबर
एकदम तुम्हारी फिक्र ए तख्तोताज की तरह

राकिम फिजूल करते हो तुम दुनिया की परवा
चलती है दुनिया आदतन रिवाज की तरह

कमजोर की है जिन्दगी दुश्वार यहाँ पर

हैं लोग जालिमों1 के परस्तार2 यहाँ पर
कमजोर की है जिन्दगी दुश्वार3 यहाँ पर

मशविरा4 है छोड़ दो इंसाफ की उम्मीद
मुंसिफ की शक्ल में हैं गुनहगार यहाँ पर

कुछ यूँ है तजर्बा हमारा इस दयार5 का
कि होता नहीं किसी पे एतबार यहाँ पर

हम हैं बेवकूफ इसका इल्म होते ही
सब के सब हुए हैं होशियार यहाँ पर


कुछ और नहीं है यहाँ तमाशे से सिवा
हैं तरह तरह के किरदार6 यहाँ पर


गैरत7 की बात राकिम यहाँ न कीजिये
है पेट पर सभी के दस्तार8 यहाँ पर


1-आतातायी,अत्याचार करने वाला,2-उपासक,3-कठिन,4-सलाह,5-क्षेत्र,6-पात्र,7-स्वाभिमान,8-पगड़ी

जगजीत सिंह तुम्हारी गुलूकारी को सलाम

खिदमत गजल की करते रहे उम्रभर तमाम
जगजीत सिंह तुम्हारी गुलूकारी को सलाम

सूरज की चमक चार पहर चाँद की भी चार
आठो पहर चमकता रहेगा तुम्हारा नाम

वैसे तो गाने वाले बहुत दुनिया में हुए
जगजीत सिंह का था अलग अंदाजे खुशखिराम

औलाद का गम दिल में अपने दफ्न करके तुम
करते रहे रंगी जा ब जा गजल की शाम

मजबूर गरीबों बुजुर्गों बच्चों की मदद
तुमने किये जमाने में बहुत से नेक काम

जग जीत कर चले गये जगजीत जग से तुम
करता रहेगा सारा जग तुम्हारा एहतिराम



गुलूकारी-गायकी, अंदाजे खुशखिराम-धीरे धीरे गाने का अंदाज

मिला नहीं है मेरा होना

मिला नहीं है मेरा होना
ढूँढ लिया है कोना कोना

मेहनत करने में तौहीनी
सीख लिया है जादू टोना

किस्मत की तहरीर पढी जब
था लिखा किस्मत पे रोना

रोये दुनिया माँगे दौलत
रोये बच्चा देख खिलौना

साहिल होने का मतलब है
दरिया पाना दरिया खोना

काटने को बेताब सभी हैं
आता नहीं किसी को बोना

आखिर मिलना है मिट्टी में
राकिम फिर क्या चाँदी सोना

जमीं देखकर चलो

यकसाँ रखो पाँव जमीं देखकर चलो
पहले करो फैसला फिर राह पर चलो

ताजिन्दगी नचाती है उँगलियों पे भूक
कहता है पेट पाँव से कि उम्रभर चलो

चलते हैं हुजूम में लकीरों के फकीर
अपना उसूल है लकीरें छोड़कर चलो

रास्तों की नब्ज को टटोलते रहो
अच्छा लगे अगर मिजाजे रहगुजर चलो


कुछ देर के सफर के बाद शाम मिलेगी
कुछ दूर दोपहर की धूप ओढकर चलो

चारो तरफ है घेरे में दहलीज मौत की
आखिर है पहुँचना वहीं चाहें जिधर चलो

हासिल है तजर्बा हमें राहें बदलने से
राकि़म जी कैसी राह पर किस कदर चलो

हैरत में हैं हैरानियाँ हैं फेर वक्त का

हैरत में हैं हैरानियाँ हैं फेर वक्त का
परीशाँ हैं परेशानियाँ है फेर वक्त का

उम्मीद की उम्मीद नहीं फिर भी देखिये
बदगुमाँ हैं बदगुमानियाँ है फेर वक्त का

मोहताज थे जो एक गमगुसार को कभी
मेहरबाँ हैं मेहरबानियाँ है फेर वक्त का

दाव पेंच अक्लवालों के समझती हैं
नादाँ नहीं नादानियाँ है फेर वक्त का

ईश्क की शुरूआत एक बार फिर से हो

इस बार न गलती कोई मेरे यार फिर से हो।
ईश्क की शुरूआत एक बार फिर से हो।।

हमने दुआ माँगी थी हो के ईश्क में रूस्वा।
यारब न कोई मुझ सा शर्मशार फिर से हो।।

नये ईश्क से बेदखल जमाने को करो।
राह में रोड़ा न कोई खार फिर से हो।।

रोये न कोई लैला अब दोबारा ईश्क में।
अब न कोई मजनू संगसार फिर से हो।।

दीवार और सलाखें नये ईश्क में न हों।
आशिक न कोई अब के गिरफ्तार फिर से हो।।

राकिम जमाना ईश्क को कहे है अगर गुनाह।
दो चार फिर से हो सौ हजार फिर से हो।।

हम कर के एतबार बदगुमान क्यों हुए

हम कर के एतबार बदगुमान क्यों हुए
दानिश्ता ही नाहक में परेशान क्यों हुए

मेरी खता को क्यों गुनाह कह रहे हैं लोग
ये लोग मुंसिफाना बेईमान क्यों हुए

पाबंद थे जो करने को मेरी मुखालफत
क्या बात है जनाब मेहरबान क्यों हुए

क्या मेरी तबाही की साजिश में थे शरीक
पहलूनशीं वगरना पशेमान क्यों हुए

आया जो इंकलाब तो मिलेगा क्या उन्हें
जो लोग बेगुनाह थे कुर्बान क्यों हुए

मुँह किसका किसका देखें राकिम जी यहाँ पर
किस किस से पूछें खफा साहेबान क्यों हुए

राकि़म जोगिया रोये

सारी दुनिया ख्वाब में डूबी जब रातों में सोये।
राकि़म अलख जगाये जोगिया राकि़म जोगिया रोये।।

जोगिया उसको ख़ालिक़ बोले ख़ालिक़ को ही मालिक बोले।
बोले मेरा कहना क्या है वो जो चाहे होये।।

तोरे ईश्क में पागल जोगिया घूमे दरिया जंगल जोगिया।
दुनिया खोजे ताकत दौलत जोगिया खोजे तोहे।।

झोली खाली करता जाये खाली झोली भरता जाये।
इसकी तनिक भी फिक्र नहीं कि क्या पाये क्या खोये।।

दुआ में भींगी जुबान शीरी बिखरे बिखरे बाल फकीरी।
कुछ ना चाहे जोगिया फिर कुछ क्यों काटे क्यों बोये।।

खोट नहीं जोगिया के मन में दाग नहीं कोई दामन में।
आ जाये या लग जाये तो रो रोकर के धोये।।

ना तो जोगिया को दुख कोई ना तो जोगिया को सुख कोई।
अपने कंधे पर ले जोगिया दुनिया के गम ढोये।।