काबू में आदमी न रहा क्या करे खुदा


है मुश्किलों में खुद खुदा क्या करे खुदा
काबू में आदमी न रहा क्या करे खुदा

इक दूसरे को कत्ल आदमी अगर करे
दो आदमी के दरम्याँ क्या करे खुदा

अपनी नजर में आदमी हो गया खुदा
मगर निगाहे गैर का क्या करे खुदा

यहाँ पे लोगबाग हैं तबाह इस कदर
चाहकर के भी भला क्या करे खुदा


राकिम नसीब हो गया नसीब में जो था
तुम्हीं कहो कि कुछ सिवा क्या करे खुदा