हमारे गम के आलावा नहीं कोई हमारा था
हमें ताल्लुक नें लूटा था हमें रिश्तों ने मारा था
कभी भी आप अपने से नहीं मैं जीत पाया था
शिकायत क्या करुँ किससे कहूँ क्या कैसे हारा था
रिवाज-ए-रस्म-ए-कारोबार हमको कब समझ आये
हमेशा ही हमारे हिस्से में नुकसान सारा था
तुम्हारे हाथ में तलवार थी देखा था हमने भी
चलाने के लिए लेकिन किया किसने ईशारा था
सितारा चमके किस्मत का दुआ क्या माँग ली मैने
गिरा जो मेरे दामन में मेरी किस्मत का तारा था
मयस्सर थी कहाँ हमको यक ब यक मौत भी राकि़म
कातिलों नें जहर रग में कतरा कतरा उतारा था
हमें ताल्लुक नें लूटा था हमें रिश्तों ने मारा था
कभी भी आप अपने से नहीं मैं जीत पाया था
शिकायत क्या करुँ किससे कहूँ क्या कैसे हारा था
रिवाज-ए-रस्म-ए-कारोबार हमको कब समझ आये
हमेशा ही हमारे हिस्से में नुकसान सारा था
तुम्हारे हाथ में तलवार थी देखा था हमने भी
चलाने के लिए लेकिन किया किसने ईशारा था
सितारा चमके किस्मत का दुआ क्या माँग ली मैने
गिरा जो मेरे दामन में मेरी किस्मत का तारा था
मयस्सर थी कहाँ हमको यक ब यक मौत भी राकि़म
कातिलों नें जहर रग में कतरा कतरा उतारा था