वरना कोई किसी को क्या देगा

सिर्फ उम्मीद है खुदा देगा
वरना कोई किसी को क्या देगा

क्यों शिकायत किसी से क्या करिये
बेवजह ही कोई वजा देगा

आज आमादा डूबने पर हम
आज दरिया भी रास्ता देगा

आखिरश कह दिया है मुंसिफ से
देख लेंगे जो फैसला देगा

ऐसा उतरा है लहू आँखों में
आज आईने को डुबा देगा

टूटते टूटते चराग का दम
कुछ अंधेरों को तो मिटा देगा